The Train... beings death 33
चिंकी ने सभी आत्माओं को उनकी योग्यता के अनुसार काम बांट दिए थे। सभी आत्मायें और चिंकी सभी मिलकर ट्रेन के आने जाने के बीच पड़ने वाले स्टेशन्स के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद ट्रेन को रोकने के तरीके पर विचार करने वाले थे।
सभी आत्मायें चिंकी की योजनानुसार अपने अपने काम में लग गई थी। चिंकी भी अब अगले स्टेशन पर क्या होने वाला था इसी सोच में डूब गई थी।
कुछ ही देर बाद ट्रेन की सीटी की आवाज आई.. जिसका मतलब था कि अगला स्टेशन पास ही था। उस सीटी की आवाज से ही सभी आत्माओं की हलचल बढ़ गई थी।
सभी आत्मायें थोड़ा घबराई हुई सी दिख रही थी। जिन भी स्टेशन्स पर ट्रेन रुकती थी.. उन स्टेशन्स से जो भी जीव चढ़ते उतरते थे उनके लिए किसी के सशरीर या अशरीर होने से कोई फर्क नहीं पड़ता था। वो जीव आत्माओं को भी वैसे ही डराने के लिए बहुत थे जैसे वो जिंदा इंसानो को डराते थे।
जल्दी ही अगला स्टेशन आ गया था। ट्रेन की स्पीड रुकने से पहले कम हो गई थी।
चिंकी ने सभी आत्माओं को मोटीवेट करते हुए कहा, "आप सभी जानते हैं कि हमने अगर कुछ भी नहीं किया तो आप सभी हमेशा ऐसे ही इस ट्रेन में भटकते रहोगे। भगवान भी खुद किसी की मदद करने नहीं आते बस किसी ऐसे को भेजते हैं जो हमारी मदद करके भगवान बन जाता है। आज हमें खुद अपनी मदद करके भगवान को भी किसी मददगार को भेजने के लिए मजबूर करना ही होगा।"
चिंकी की बातों से सभी आत्मायें बहुत ज्यादा एक्साइटेड और मोटीवेटेड फील कर रही थी। तभी ट्रेन धीमी होते होते झटके खाकर रुक गई। जहां एक मिनट पहले तक सभी एक्साइटेड दिख रहे थे एकाएक सभी के चेहरों पर मौत का खौफ नज़र आने लगा था।
सभी आत्माओं ने चिंकी की शक्ल देखी और जिनको भी उस जगह उतरने की बात हुई थी वो सभी आत्मायें उतरने लगी थी। हुआ यूं था कि चिंकी का ट्रेन से नीचे उतरना ठीक नहीं था इसीलिए सभी ने मिलकर डिसाइड किया था कि चिंकी की जगह वो लोग स्टेशन पर उतरेंगे।
चिंकी के ही सुझाव पर सभी आत्माओं के तीन गुट बनाए गए और हर एक गुट को एक स्टेशन पर उतरने के बाद वहां की सारी जानकारियां एकत्र कर चिंकी के साथ बाँटनी थी। ताकि सभी लोग मिलकर ट्रेन का आना जाना रोक सके।
सभी बातें डिसाइड होने के बाद पहली टुकड़ी पहले स्टेशन पर उतर गई थी। ट्रेन की आत्माओं में कुछ छोटे बच्चों की भी आत्माएं थी। सभी लोग उतर कर जैसे ही वहां पर जाने वाले थे चिंकी को ऐसा लगा कि एक छोटे बच्चे की आत्मा ट्रेन के नीचे गलती से गिर गई थी। चिंकी जानती थी कि उस छोटे बच्चे की आत्मा का वहां रुकना सेफ नहीं था इसीलिए चिंकी ने तेजी से उतर कर उस बच्चे को उठा लिया। तभी वहां पर एक औरत रोते हुए आती हुई दिखाई दी। वह औरत और छोटे बच्चे की मां थी। चिंकी ने बच्चे को उसकी मां को दे दिया तब तक ट्रेन धीरे-धीरे चलने लगी थी।
चिंकी फटाफट से उन लोगों को ट्रेन में चढ़ाने की कोशिश करने लगी। इससे पहले की ट्रेन रफ्तार पकड़ती चिंकी ने उन मां बेटे की आत्माओं को ट्रेन में चढ़ा दिया था लेकिन चिंकी के ट्रेन में चढ़ने से पहले ट्रेन अपनी रफ्तार पकड़ चुकी थी और चिंकी किसी भी हालत में ट्रेन में नहीं चढ़ सकती थी।
चिंकी ने ट्रेन के दरवाजे की तरफ देखा तो वहां पर वह मां बेटे एक रहस्यमई और कुटिल मुस्कान देते हुए दिखाई दिए। चिंकी कुछ देर तक कंफ्यूज थी कि वह दोनों मां-बेटे इस तरह से चिंकी को क्यों देख रहे थे। तभी वह दोनों मां बच्चे की आत्माएं बदसूरत और बदबूदार कीड़े से भरी आत्माओं जैसी दिखने लगी। इस बार चिंकी को समझ में आ गया कि वह दोनों आत्माएं नहीं चाहती कि ट्रेन का आना-जाना रुके। अब चिंकी उस ट्रेन में चढ़ भी नहीं सकती थी जब तक वह ट्रेन दोबारा नहीं आए।
चिंकी ने वहीं पर रुक कर वहां के बारे में जानकारी निकालने की सोची। चिंकी के पास कोई और रास्ता नहीं था तो चिंकी ने यहां वहां घूम कर उस जगह के बारे में और वहां से आने जाने वाले जानवरों के बारे में पता लगाना ही ठीक समझा। चिंकी को वहां पर उतरने वाली एक भी आत्मा दिखाई नहीं दी थी। सभी पता नहीं कहाँ चली गई थी? चिंकी ने कुछ सोचते हुए खुद ही वहाँ के बारे में पता लगाने की सोची।
वो कुछ अलग तरह की जगह थी। चारों तरफ बहुत ही ज्यादा ठंडक फैली हुई थी.. थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कुछ लाल रंग की लाइट्स की जोड़ियां चमक रही थी.. रुक-रुक कर बहुत ही तेज हवाएँ चल रही थी.. जिसके कारण चिंकी को वहां खड़े रहने में बहुत ही ज्यादा दिक्कत हो रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे एक निश्चित अंतराल के बाद बहुत ही तेज चक्रवात आ रहा हो। चिंकी को आसपास कोई भी ऐसी जगह नहीं मिल रही थी जिसे पकड़ने के बाद उस तूफान में उड़ने से बच सके।
कुछ देर तक बहुत ही तेज हवाएं चल रही थी। चिंकी के पास पकड़ने के लिए कुछ नहीं था तो चिंकी नीचे जमीन पर पेट के बल लेट गई। जमीन के 2 फुट ऊपर तक हवा का दबाव उतना ज्यादा नहीं था इसीलिए चिंकी वहां पर सुरक्षित थी लेकिन कितनी देर रहती यही सोचते हुई चिंकी ने तेजी से अपना दिमाग चलाना शुरु कर दिया। ताकि जिस काम के लिए वह यहां थी वह कर सके।
थोड़ी देर बाद हवा चलना थोड़ा कम हुआ और लगभग 1 घंटे बाद हवा चलना बिल्कुल बंद हो गई। यह देख कर चिंकी बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। हवा चलने के बाद से ही चिंकी को बहुत ज्यादा ठंड लग रही थी।
वहां पर उजाले के नाम पर कुछ भी नहीं था। चारों तरफ कालिमा फैली हुई थी। बस थोड़ी थोड़ी दूर पर लाल रंग के अंगारे जैसी कुछ जोड़ी चीजें चमक रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे चिंकी वहां पर रात में उतर गई थी।
लगभग आधे घंटे बाद पूरब दिशा से हल्का सा उजाला होना शुरू हुआ पर यह सब कुछ थोड़ा अलग था। वहां पर उजाला नीले रंग का होना शुरू हुआ था। धीरे-धीरे नीला रंग बहुत चमकदार होता जा रहा था। कुछ देर बाद एक छह कोने का बड़ा सा तारा उगा.. जिससे नीला प्रकाश चारों तरफ फैल रहा था। उस नीले प्रकाश में सब कुछ अच्छे से दिखाई दे रहा था। चिंकी चारों तरफ सतर्कता से देखते हुए अपने पैर आगे बढ़ा रही थी। जैसे-जैसे चिंकी आगे बढ़ती जा रही थी वहां का माहौल देखकर कंफ्यूज फील कर रही थी।
पिछली बार ट्रेन से जब इस जगह को चिंकी ने देखा था.. तब ऐसा लग रहा था जैसे यहां पर सब कुछ उजाड़ था.. ना तो कोई लोग, ना कोई पेड़ और ना ही कोई जीव जंतु दिखाई दे रहे थे। बस एक अजीब सा सन्नाटा जैसा फैला हुआ था।
धीरे-धीरे चिंकी आगे बढ़ी तो जहां तक भी चिंकी की नजर जा रही थी वहां तक सुनहरे रंग के बड़े-बड़े पेड़ थे जिनकी पत्तियां लाल, नीली और बैंगनी कलर की थी। उन पर काले रंग के बहुत सुंदर फूल खिले हुए थे और ग्रे, ब्राउन और सफेद कलर के फल लगे हुए दिखाई दे रहे थे। पैर के नीचे लाल रंग की घास थी। आसपास के माहौल में बहुत ही अच्छी खुशबू बिखरी हुई थी। वह खुशबू इतनी अच्छी थी कि चिंकी को बहुत तेज भूख लगने लगी थी।
पिछले दिन शाम से ही चिंकी ने कुछ भी नहीं खाया था। चिंकी को प्रिया के साथ आकर उन सब की हेल्प करने की एक्साइटमेंट थी इसीलिए कुछ खाने का होश ही नहीं रहा था। वहां पर इतने अलग फल देखकर चिंकी का मन भी उन्हें खाने का करने लगा था।
चिंकी जैसे ही धीरे-धीरे आगे बढ़ी उसके पैर के नीचे दबने के कारण लाल रंग की घास से एक बहुत ही मधुर संगीत बजने लगा था। वह संगीत इतना मधुर था कि चिंकी उसमें खो गई थी। थोड़ी देर तक वैसे ही सब कुछ भूल कर चिंकी उस संगीत को सुन रही थी।
थोड़ी देर बाद जब चिंकी को टाइम का ध्यान आया तो चिंकी ने उस समय आगे चलकर पेड़ों से फल तोड़ना ही ठीक समझा। "कुछ खाने पीने के बाद ही आगे कुछ यहां के बारे में पता लगाया जाएगा.. " यही सोचते हुए चिंकी एक पेड़ के नजदीक जाकर उसपर चढ़ने के बारे में सोचने लगी।
"व्हाइट, ग्रे या फिर ब्राउन..!! कौनसा फ्रूट खाने के लिए परफेक्ट रहेगा।" चिंकी ने थोड़ा धीरे से अपने आपसे बात करते हुए कहा।
"ग्रे सबसे मीठा है। व्हाइट थोड़ा खट्टा है और ब्राउन ना अभी कच्चा है।" एक मीठी सी आवाज आई।
चिंकी इस आवाज से चौंक गई थी और घबराकर इधर-उधर देखने लगी। चिंकी की इस हरकत से एक संगीत सी मधुर ज़ोरदार हंसी की आवाज़ आई। चिंकी इस बात से डरकर दो कदम पीछे सरक गई और फिर से आवाज का स्त्रोत ढूंढने की कोशिश करने लगी।
"तुम किसे ढूंढ रही हो??" फिर से वही प्यारी सी आवाज़ आई।
"कौन हो तुम और मुझे दिखाई क्यों नहीं दे रही??" चिंकी ने पूछा।
"चिखुरी..!! चिखुरी नाम है हमारा।" वही प्यारी सी आवाज आई।
"चिखुरी..?? ये कैसा नाम हुआ?? खेर छोड़ों ये बताओ तुम मुझे दिखाई क्यों नहीं दे रही?" चिंकी ने अपनी कमर पर हाथ रखकर पूछा।
"अरे..!! ऐसे थोड़ी दिखूंगी.. मुझसे मिलने के लिए तुम्हें घुटने पर बैठकर नीचे देखना होगा।" चिखुरी की आवाज़ आई।
चिंकी यहाँ वहाँ देखती हुई नीचे बैठ गई और पूछा, "लो बैठ गई। अब बताओं कहाँ हो तुम??"
चिंकी ने जमीन पर बैठकर गौर से देखने की कोशिश की तो वहां एक छोटी सी प्यारी सी गिलहरी बैठी मुस्कुरा रही थी।
"तो तुम हो.. चिखुरी!!" चिंकी ने पूछा तो उस गिलहरी ने हाँ में अपनी गर्दन हिला दी।
"पर गिलहरियों को तो कभी बोलते नहीं सुना मैंने?? तुम सच में गिलहरी हो??" चिंकी ने आश्चर्य से पूछा।
"हमारे यहाँ गिलहरियां, पेड़, पौधे, जीव सभी बोलते हैं।" चीकू ने गर्व से कहा।
"मैं तो तुम्हें चीकू बुलाऊंगी.. तुम चीकू और मैं चिंकी है ना परफेक्ट मैच..!!" चिंकी ने एक्साइटेड होकर कहा तो उस नन्ही गिलहरी ने भी चिंकी की बात मान ली।
"एक बात बताओ चीकू..!! तुम यहीं रहती हो??" चिंकी ने पूछा।
"हाँ..!! पर तुम्हारे जैसे जीव मैंने यहां पहले कभी नहीं देखे?? तुम यहाँ कैसे आई ?? मेरा मतलब है तुम्हारे यहां आने का क्या कारण हैं??" चीकू ने पूछा।
"मैं यहां ट्रेन से आई हूँ।" चिंकी ने ट्रेन के रुकने वाली जगह पर इशारा करते हुए कहा।
चिंकी के उस तरफ इशारा करते ही गिलहरी डरी हुई लगी और तेजी से एक और भागने लगी। चिंकी को एक मिनट के लिए कुछ समझ नहीं आया फिर चिंकी को लगा कि शायद चीकू से कुछ पता चल सकता था इसीलिए चिंकी चीकू के पीछे पीछे उसे आवाज़ देते हुए भागने लगी।
"चीकू..!! चीकू..!! रुको चीकू..!!"
चीकू ने एक पल रुककर पीछे मुड़कर देखा इतने में ही चिंकी ने फुर्ती से चीकू को पकड़ लिया और थोड़ा गुस्से से पूछा, "तुम ऐसे क्यों भाग रही थी। तुम्हें पता है गिलहरियों को पकड़ने में कितनी मेहनत लगती है। वो तो मुझे गिलहरियों को पकड़ने का एक्सपीरियंस है नहीं तो तुम्हें पकड़ना कितना मुश्किल होता मेरे लिए?"
गिलहरी बहुत डरी हुई दिख रही थी। चिंकी को चीकू की हालत देख बुरा लगा इसीलिए चिंकी ने चीकू को सहलाते हुए कहा, "सॉरी चीकू..!! मैं तुम्हें डराना नहीं चाहती थी। पर मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए.. क्या तुम हेल्प करोगी?"
चिंकी के बिहेवियर से चीकू को थोड़ा थोड़ा विश्वास होने लगा था तो चीकू ने पूछा, "कैसी हेल्प?"
"मुझे इस ट्रेन का आना जाना बंद करवाना है। तुम ऐसे किसी को जानती हो जो इसमे मेरी हेल्प कर सके?" चिंकी ने पूछा।
"मुझे नहीं पता कि कौन तुम्हारी हेल्प कर सकता है पर मैं तुम्हें हमारे देव के पास ले जा सकती हूं। शायद वो तुम्हारी कोई मदद कर पाए।" चीकू ने कहा।
चिंकी के हाँ कहते ही चीकू चिंकी को एक बड़े से पेड़ के पास ले गई और वहाँ जाकर कुछ मंत्र पढ़ने लगी। थोड़ी ही देर में पेड़ में एक दरवाज़ा खुला और चीकू चिंकी को लेकर अंदर चली गई। चिंकी हर एक चीज़ को आश्चर्य से देख रही थी।
दरवाज़े से अंदर घुसते ही कुछ छोटी छोटी मानव गिलहरियों ने उन्हें घेर लिया। उनके हाथों में छोटे छोटे तीर कमान और भाले थे।ऐसा लगा जैसे कि वो कोई घुसपैठिए हों और उन्हें चोरी से घुसते पकड़ लिया गया हो। चिंकी ने हैरानी से चीकू की तरफ देखा तो चीकू ने एक क्यूट सा इनोसेंट फेस बनाकर अपने कन्धे उचका दिए।
तभी एक गोल मटोल सी गिलहरी हाथ में छोटी सी तलवार लिए आई और चीकू को धमकाते हुए बोली, "चिखुरी..!! तुम हमेशा ही नियमों का उल्लंघन करती रहती हो। तुम इस जीव को कहां से और क्यों लेकर आई हो? आज तो देव ने तुम्हें तुम्हारे कर्मों के कारण कारागार में बंद करने का आदेश दिया है।"
चीकू तुरंत ही चिंकी की गोद से नीचे कूदी। चीकू लगभग उस गोल मटोल गिलहरी के ऊपर ही कूद पड़ी थी। चीकू के इस तरह कूदने से वो गिलहरी गिर पड़ी थी। चीकू ने उसे उठाते हुए कहा, "ये उस लाल डब्बे वाली चलने वाली चीज़ से आई थी।"
"क्याऽऽऽ..??" सभी जोर से चीखें और चिंकी से दूर भागने लगे।
चिंकी उन्हें यूँ अपने से डरकर भागते देख दुखी हो गई और चीकू को उदासी से देखा।
चीकू ने चिल्लाते हुए सबसे कहा, "ये हमारी सहायता करना चाहती हैं। ये भी उस मृत्यु वाहक को रोकना चाहती है। इसीलिए मैं इसे देव से मिलवाने लाई हूं।"
चीकू की बातों से सभी को थोड़ी राहत महसूस हुई और धीरे-धीरे सभी चिंकी के पास आए और उसे छूकर देखने लगे। चिंकी को भी ये सबकुछ बहुत ही अच्छा लग रहा था तभी चीकू ने कहा, "अब हमें देव के पास चलना चाहिए।"
चीकू की बात सुनते ही सभी चिंकी को लेकर चल दिये। सबसे आगे चीकू और वो गोल मटोल गिलहरी चल रहीं थी। उनके पीछे चिंकी और चिंकी के पीछे बाकी सेना।
चिंकी गौर से यहां वहां देख रही थी। सुनहरे बड़े पेड़, लाल घास, हरा आकाश, छोटी छोटी गिलहरियां.. जो कौतुहल से चिंकी को देख रहीं थी और अपने बच्चों को अपने पास ऐसे चिपकाए हुए थी मानों अभी चिंकी सभी को उठाकर ले जाएगी। चिंकी भी वहाँ की हर एक चीज़ को बहुत ही आश्चर्य से देख रहीं थी।
तभी चीकू और वो दूसरी गिलहरी एक सबसे अलग और सुनहरी नीले पेड़ के सामने जाकर खड़े हो गए और अपने घुटनों पर बैठ गए। चिंकी भी उन्हें देखकर घुटनों के बल बैठ गई। तभी एक थोड़ी बड़ी सी आकार की मानव गिलहरी वहाँ आई जिसका शरीर गिलहरी जैसा और मुँह मनुष्य जैसा था।
उसे देखते ही चीकू आगे बढ़कर उसके गले लग गई और चीं.. चूं... कर के कुछ कहने लगी। उस बड़ी सी गिलहरी जैसे मानव ने आश्चर्य से चिंकी की तरफ देखा मानो चीकू की बात पर विश्वास करने की कोशिश कर रहा हो। चिंकी भी कंफ्यूजन से कभी चीकू तो कभी उन गिलहरियों को देख रही थी।
"तो तुम हमारी सहायता करना चाहती हो?" चीकू के साथ खड़ी मानव गिलहरी ने पूछा।
"नहीं..!!" चिंकी के मना करते ही सभी ने चीकू को घूरकर देखा तो चीकू ने हड़बड़ाहट से कहा, "ऐसा क्यों बोल रही हो? तुमने ही तो कहा था कि तुम्हें हेल्प चाहिए।"
"हाँ कहा था कि हेल्प चाहिए। तुम्हारी हेल्प करने की थोड़ी बोला था।" चिंकी ने मासूमियत से ज़वाब दिया।
"एक ही बात है अगर हम तुम्हारी हेल्प करेंगे तो तुम भी तो हमारी हेल्प करोगी ना!!" चीकू ने कहा।
तो चिंकी ने अपना सर हां में हिला दिया। तभी चीकू के साथ खड़ी मानव गिलहरी ने कहा, "मेरा नाम आदिदेव है। मैं इन सभी का राजा हूं। यहां के सभी लोग मुझे देव के नाम से पुकारते हैं।"
चिंकी ने अपने हाथ जोड़कर नमस्ते करते हुए कहा, "नमस्ते देव जी..! मेरा नाम चिंकी है। मैं यहां पर उस ट्रेन से आई थी। उस ट्रेन से हमारे यहां बहुत सारे अजीब जानवर जाते हैं। जो लोगों को खा जाते हैं और उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार करते हैं। ट्रेन में बहुत सारे लोगों की आत्माएं भी भटक रही हैं। मेरी फ्रेंड प्रीति भी उसी ट्रेन में रहती है। उसे मेरी हेल्प चाहिए जिससे ट्रेन का आना जाना बंद हो सके और उनको मुक्ति मिल सके। इसीलिए मैं यहां पर पता करने आई थी कि कैसे ट्रेन का आना जाना बंद हो सकता है? और ये भी पता करना है कि वो ट्रेन यहाँ क्यों रुकती है?"
चिंकी की बात सुनकर वहां पर सभी लोग बिल्कुल चुप हो गए थे। तभी चिंकी ने पूछा, "मैं आपसे कुछ सवाल पूछ सकती हूं?"
"हां पूछो!!" देव ने कहा।
"आपने यहां पर कुछ अजीब से जानवरों को देखा है.. जिनके 3 सर और बंदरों जैसे हाथ पैर थे?" चिंकी ने पूछा।
चिंकी के सवाल पर सभी लोग घबरा गए थे। तभी देव ने दुःखी स्वर में कहा, "हां..! हमने देखा है। उन्हीं की वजह से तो हम लोग यहां रहते हैं।"
"क्या हुआ था? आप बता पाएंगे??" चिंकी ने पूछा।
क्रमशः...
Punam verma
26-Mar-2022 09:10 AM
Please mam agla part jaldi se prakashit kijiye
Reply
Aalhadini
26-Mar-2022 09:18 AM
कर दिया ma'am आप चेक कर लीजिए 🙏
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Gunjan Kamal
24-Mar-2022 02:14 PM
Nice part 👌
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